पैप स्मीयर टेस्ट
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गर्भाशय ग्रीवा कैंसर/सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) भारतीय महिलाओं में कैंसर के कुल मामलों का 16.5% है और देश में महिलाओं में स्तन कैंसर के बाद दूसरा सबसे आम प्रकार का कैंसर है
पैप स्मीयर टेस्ट
पैप स्मीयर टेस्ट या पैट टेस्ट महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा कैंसर (सर्वाइकल कैंसर) की जांच के लिए किया जाता है. इस टेस्ट के लिए गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं से सैंपल निकाला जाता है. दरअसल गर्भाशय ग्रीवा, गर्भाशय का ही एक संकुचित भाग होता है. यह महिलाओं के गुप्तांग (योनि) के ऊपर और गर्भाशय के अंत में होता है. अगर आप सेक्सुअल लाइफ में एक्टिव हैं तो आपको यह टेस्ट करवाते रहना चाहिए, जिसकी मदद से गर्भाशय ग्रीवा यानी सर्विक्स की कोशिकाओं की जांच की जा सके. इस टेस्ट का मकसद ग्रीवा की कोशिकाओं में किसी असामान्य बदलावों का पता लगाना होता है. इस टेस्ट के जरिए गर्भाशय ग्रीवा में कैंसर होने या भविष्य में इसकी आशंका के बारे में जानकारी मिलती है. गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के लक्षण मससूस नहीं होते, इसलिए महिलाओं को नियमित अंतराल पर पैप स्मीटर टेस्ट करवाते रहना चाहिए. मासिक धर्म के दौरान परीक्षण नहीं किया जा सकता है।
परीक्षण कब किया जाना चाहिए?
ज्यादातर महिलाओं को 21 की उम्र के बाद नियमित रूप से पैप स्मीयर टेस्ट करवाना शुरू कर देना चाहिए। कुछ महिलाओं में संक्रमण और कैंसर विकसित होने की संभावनाएं ज्यादा हो सकती हैं। अगर आपको निम्न समस्या है, तो पैप टेस्ट और जल्दी करवाना चाहिए -
• अगर आप एचआईवी पॉजिटिव हैं
• अगर कीमोथेरेपी या अंग प्रत्यारोपण (Organ transplant) के बाद आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो गई है।
अगर आप 30 साल से ज्यादा उम्र की हो गई हैं और आपने लगातार 3 पैप टेस्ट करवा लिए हैं। यदि यह टेस्ट ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) जांच के साथ किया जाता है, तो हर पांच साल में एक टेस्ट होने के बारे में अपने डॉक्टर से पूछें। एचपीवी एक वायरस होता है, जिसके कारण मस्से विकसित होते हैं। सर्वाइकल कैंसर का प्राथमिक कारण एचपीवी भी हो सकता है, अगर आप एचपीवी से संक्रमित हैं, तो आप में सर्वाइकल कैंसर विकसित होने के जोखिम बढ़ सकते हैं।
अगर कोई महिला 65 साल से ऊपर की हो गई है और उसके पिछले पैप स्मीयर टेस्ट के रिजल्ट सामान्य रहे हैं, तो वे महिलाएं भविष्य में पैप स्मीयर जाँच रोक सकती हैं।
अगर आप एक पत्नीक रिश्ते में हैं (यानि यौन सक्रीय नहीं हैं), तब भी आपको पैप स्मीयर टेस्ट कराना चाहिए। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि एचपीवी वायरस कई सालों तक निष्क्रिय रह सकता है और अचानक से सक्रिय हो सकता है।
परीक्षण कैसे किया जाता है?
यह टेस्ट कुछ ही मिनटों में पूरा हो जाता है. अस्पताल या क्लीनिक में डॉक्टर आपको टेस्ट के लिए तैयार करेंगे. आपको एक टेबल पर पीठ के बल लेटना होगा और घुटने मोड़कर पैर स्टीयरप्स पर रखने होंगे. इसके बाद डॉक्टर धीरे-धीरे योनि में स्पेक्युलम नाम का उपकरण डालेंगे. यह उपकरण योनि की दीवारों को अलग-अलग करता है, ताकि डॉक्टर गर्भाशय ग्रीवा में आसानी से देख पाएं. स्पेक्युलम को योनि में डालने पर पेल्विक क्षेत्र में थोड़ी-बहुत सनसनी या दबाव महसूस हो सकता है. इसके बाद स्पेक्युलम के अंदर से रुई से लिपटे एक एप्लीकेटर, स्बैव या ब्रश को गर्भाशय ग्रीवा में डालकर सैंपल के रूप में गर्भाशय से कोशिकाओं को इकट्ठा किया जाता है.
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